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मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन फ़ेलुन रौशन किसी क

मुस्तफ़इलुन   मुस्तफ़इलुन   फ़ेलुन

रौशन   किसी  का  घर  नहीं  होता.
गर   जो  दीये  का  सर  नहीं  होता.

सरसर क डर तो सबको है फिर भी.
लहरों   को   कोई   डर  नहीं  होता.

दीवारे   जितने   भी   बनाओं   तुम.
दीवारो   का   तो   दर   नहीं   होता.

मैं   दूर   मां   से   आ  गया  हूं  अब.
गोदी   मे,    मेरा   सर   नहीं   होता.

मैं   आसमां   छू  लूं  मगर,  क्या  है.
इंसान    को   तो   पर   नहीं   होता. अर्थ :-

सरसर - तूफ़ान
दर - दरवाजा
मुस्तफ़इलुन   मुस्तफ़इलुन   फ़ेलुन

रौशन   किसी  का  घर  नहीं  होता.
गर   जो  दीये  का  सर  नहीं  होता.

सरसर क डर तो सबको है फिर भी.
लहरों   को   कोई   डर  नहीं  होता.

दीवारे   जितने   भी   बनाओं   तुम.
दीवारो   का   तो   दर   नहीं   होता.

मैं   दूर   मां   से   आ  गया  हूं  अब.
गोदी   मे,    मेरा   सर   नहीं   होता.

मैं   आसमां   छू  लूं  मगर,  क्या  है.
इंसान    को   तो   पर   नहीं   होता. अर्थ :-

सरसर - तूफ़ान
दर - दरवाजा
itba1773705858770

writer abhay

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