मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन फ़ेलुन रौशन किसी का घर नहीं होता. गर जो दीये का सर नहीं होता. सरसर क डर तो सबको है फिर भी. लहरों को कोई डर नहीं होता. दीवारे जितने भी बनाओं तुम. दीवारो का तो दर नहीं होता. मैं दूर मां से आ गया हूं अब. गोदी मे, मेरा सर नहीं होता. मैं आसमां छू लूं मगर, क्या है. इंसान को तो पर नहीं होता. अर्थ :- सरसर - तूफ़ान दर - दरवाजा