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सुर्ख रंग उदासी का जम गया है मुझ पर, मानो होली का

सुर्ख रंग उदासी का जम गया है मुझ पर, 
मानो होली का कोई पक्का रंग जो छूटे ना। 

खनकती मुस्कान अब बीते हुए ज़माने की बात हो गई है,
तुम्हारे बाद मेरी जाने कितनी रातें तन्हाइयों में गुज़री है।

यादें फिर आती जाती रहती हैं किसी टिमटिमाते तारे की तरह ,
कभी ज्यादा तो कभी कम बस एक एहसास दिलाती रहती हैं।

टटोलती हूँ ख़ुद को ख़ुद के ही भीतर जाने किस चीज की तलाश में,
पाती हूँ क्या, कि एक महज़ आँखों में आँसुओं की जमी हुई नदी।

भावनाशून्य सा हो गया हृदय गोया कि कोई पहाड़ हो,
कंपकंपाते हुए  से हाथ किसी झरते हुए झरने के मानिंद।

एक  ही चीज़ है अब जो ताउम्र मेरे साथ रहने का वादा कर रही है,
चंद बातें पुरानी और यह उदासी जिसका लिबास ही मुझको भाता है। 

#अनाम 
#अनाम_ख़्याल 
#रात्रिख़्याल 
#midnightthoughts
#latenightthoughtbazaar
#उदासी
सुर्ख रंग उदासी का जम गया है मुझ पर, 
मानो होली का कोई पक्का रंग जो छूटे ना। 

खनकती मुस्कान अब बीते हुए ज़माने की बात हो गई है,
तुम्हारे बाद मेरी जाने कितनी रातें तन्हाइयों में गुज़री है।

यादें फिर आती जाती रहती हैं किसी टिमटिमाते तारे की तरह ,
कभी ज्यादा तो कभी कम बस एक एहसास दिलाती रहती हैं।

टटोलती हूँ ख़ुद को ख़ुद के ही भीतर जाने किस चीज की तलाश में,
पाती हूँ क्या, कि एक महज़ आँखों में आँसुओं की जमी हुई नदी।

भावनाशून्य सा हो गया हृदय गोया कि कोई पहाड़ हो,
कंपकंपाते हुए  से हाथ किसी झरते हुए झरने के मानिंद।

एक  ही चीज़ है अब जो ताउम्र मेरे साथ रहने का वादा कर रही है,
चंद बातें पुरानी और यह उदासी जिसका लिबास ही मुझको भाता है। 

#अनाम 
#अनाम_ख़्याल 
#रात्रिख़्याल 
#midnightthoughts
#latenightthoughtbazaar
#उदासी