न कोई मन्ज़िल न कोई रास्ता होता। ग़र चाहत ना होती सब ख़स्ता होता। ना रंगीनियाँ और ना संगीनियाँ भी ! ख़ुशीयों न ग़म से कोई वास्ता होता। ♥️ Challenge-708 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।