तुम्हारे इश्क में बाबू, मै तो भ्रस्टाचार हो गया कितना संभाला फिर भी दो का चार हो गया कुछ बढ़ते दामों सा था इश्क तुम्हारा, और मैं पढ़ा लिखा, बेरोजगार हो गया।। समझ नही आ रहा इश्क, भ्रस्टाचार या पेट्रोल बढता ही जा रहा 😅😅 Bahut mahnga hai re dewa 🥵 #मन_की_बात 😴 तुम्हारे इश्क में बाबू, मै तो भ्रस्टाचार हो गया कितना संभाला फिर भी दो का चार हो गया