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ग़ुलाब सी सुंदर कविताओं में, अब प्यार की महक नहीं आ

ग़ुलाब सी सुंदर कविताओं में,
अब प्यार की महक नहीं आती,
काँटों से चुभते शब्दों में अब बस,
उनके दर्द की सिसकियाँ सुनाई देती न जाने अब वो ग़ुलाब कब खिलेगा, मुझे अब तलब है उस 'प्रेम' सुगंध की.. 

#ग़ुलाब #कविता #प्यार #महक #दर्द #सिसकियाँ #yqbaba #yqdidi 

Photo credits : qygyzx.com
ग़ुलाब सी सुंदर कविताओं में,
अब प्यार की महक नहीं आती,
काँटों से चुभते शब्दों में अब बस,
उनके दर्द की सिसकियाँ सुनाई देती न जाने अब वो ग़ुलाब कब खिलेगा, मुझे अब तलब है उस 'प्रेम' सुगंध की.. 

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न जाने अब वो ग़ुलाब कब खिलेगा, मुझे अब तलब है उस 'प्रेम' सुगंध की.. #ग़ुलाब #कविता #प्यार #महक #दर्द #सिसकियाँ #yqbaba #yqdidi Photo credits : qygyzx.com