महात्मा गांधी जी से तथा उनकी ज़िंदगी से हम प्रेरणा लेते रहें है तथा लेते रहेंगे। लेकिन इस कथन को कि
अहिंसा परमो धर्मः” (यह गलत हे, पूर्ण नहीं हे )
जिसका वो अहिंसा के पुजारी के तौर पर खूब प्रचारित करते थे, को सिरे से नकारने में मुझे कोई हर्ज नहीं है।
जबकि महाभारत का यह पूर्ण श्लोक इस तरह से है।
“अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च: l”