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सपनो की दुनियां कितना मनोहर दृश्य था ,वो स्थान मन

सपनो की दुनियां
कितना मनोहर दृश्य था ,वो स्थान मन को इस प्रकार भा रहा था जैसे अंधेरी रात में चन्द्रमा हमारे चारो ओर वृक्षों से घिरे पर्वत उनकी गोद में कन कनाता हुआ झरना कितना आनन्द आरहा था ।
आगे और भी मनोहर दृश्य था परन्तु हम कुछ पल के लिए आवाक रह गए ।मुझे ऐसा प्रतीत होने लगा ए हकीकत नहीं बल्कि एक  स्वप्न था।

©Surendra Kumar Kahar सपना
सपनो की दुनियां
कितना मनोहर दृश्य था ,वो स्थान मन को इस प्रकार भा रहा था जैसे अंधेरी रात में चन्द्रमा हमारे चारो ओर वृक्षों से घिरे पर्वत उनकी गोद में कन कनाता हुआ झरना कितना आनन्द आरहा था ।
आगे और भी मनोहर दृश्य था परन्तु हम कुछ पल के लिए आवाक रह गए ।मुझे ऐसा प्रतीत होने लगा ए हकीकत नहीं बल्कि एक  स्वप्न था।

©Surendra Kumar Kahar सपना