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अपने होसले को जिन्दा रख अपने भरोसे को जिन्दा रख बन

अपने होसले को जिन्दा रख अपने भरोसे को जिन्दा रख बन जाये कितना भी अमीर अपने अन्दर फकिर को जिन्दा रख मिट जाये तेरी हस्ती गम नही पर मिटते मिटते भी अपने ज़मीर को जिन्दा रख

©Sumit Kumar saini ज़मीर
अपने होसले को जिन्दा रख अपने भरोसे को जिन्दा रख बन जाये कितना भी अमीर अपने अन्दर फकिर को जिन्दा रख मिट जाये तेरी हस्ती गम नही पर मिटते मिटते भी अपने ज़मीर को जिन्दा रख

©Sumit Kumar saini ज़मीर

ज़मीर