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एक ज़िन्दगी इस ज़िन्दगी ने बहुत ठोकरें दी पर रुक कर

एक ज़िन्दगी इस ज़िन्दगी ने बहुत ठोकरें दी 
पर रुक कर मरहम लगाने कि 
हमारी भी आदत नही 
बहुत कुछ खोया हूँ ज़िन्दगी में 
पर पीछे मुरकर देखने की
हमारी भी आदत नहीं 
खुली किताबों वाली ज़िन्दगी है 
क्योंकी बंद पन्नो में रहना 
हमारी भी आदत नहीं 
ज़िन्दगी अक्सर दूसरों के लिए 
ही होती है 
हाँ तो मतलबी बनकर जीने की 
हमारी भी आदत नहीं 
अन्न से ज्यादा धोखे खाया हूँ 
पर आँख के बदले आँख 
हमारी भी आदत नहीं #luvuzindgi
एक ज़िन्दगी इस ज़िन्दगी ने बहुत ठोकरें दी 
पर रुक कर मरहम लगाने कि 
हमारी भी आदत नही 
बहुत कुछ खोया हूँ ज़िन्दगी में 
पर पीछे मुरकर देखने की
हमारी भी आदत नहीं 
खुली किताबों वाली ज़िन्दगी है 
क्योंकी बंद पन्नो में रहना 
हमारी भी आदत नहीं 
ज़िन्दगी अक्सर दूसरों के लिए 
ही होती है 
हाँ तो मतलबी बनकर जीने की 
हमारी भी आदत नहीं 
अन्न से ज्यादा धोखे खाया हूँ 
पर आँख के बदले आँख 
हमारी भी आदत नहीं #luvuzindgi
deepaksharma5404

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