"माँ-बेटी" माँ तु जननी है मेरी, तूने मेरा पालन पोषण किया, और मैंने तुझको क्या दिया, जन्म लिया जब से तुझको अपने करीब पाया, हर पल हर घड़ी मेरी सेवा में तुझको पाया, खुद गीले पर सोकर मुझको सूखे पर सुलाया, जब पहला कदम उठाया तूने हरपाल पहरा लगाया, कही चोट लगने तो कही गिरने से बचाया, मुझको संभालना सिखाया, कुछ बड़ी हुई तो मेरी जरूरत बड़ी, तुझसे रूठी तूने मनाया, पापा संग बहस कर मेरी जिद को पूरा कराया, खुद कुछ न लेकर मुझे दिलाया, घड़ी मेरे डोली में बैठने की आयी, तूने नसीहत मुझे दिलाई, सास-ससुर का मान करना अपना माँ बाप ही समझना, बेटी से बहु बन सिख मुझे आई, मेरी माँ हरपल है अपना कर्तव्य निभाती आयी, अब मेरी भी बारी है आयी, आज जब मैं भी माँ बन पायी, एक बेटी को मैं भी जन्म दे पाई, मुझे माँ तेरी और मेरी कहानी याद आयी, कैसे तूने पाला पोशा होगा मुझे याद ये आयी, तुझको मुझ मैं और बेटी में खुद को में देख पायी, जीवन का एक पहलु समझ पाई, कुदरत सबकुछ दोहराती आयी, कल तूने मुझको सिखाया, आज मेरी बारी है आयी, माँ में तुझको आज समझ पाई, कई बार लड़ी-झगड़ी तुझसे हर पल तूने मनाया, माँ मैं तुझको आज माँ बनकर समझ पाई।। "माँ-बेटी" माँ तु जननी है मेरी, तूने मेरा पालन पोषण किया, और मैंने तुझको क्या दिया, जन्म लिया जब से तुझको अपने करीब पाया, हर पल हर घड़ी मेरी सेवा में तुझको पाया, खुद गीले पर सोकर मुझको सूखे पर सुलाया,