देश का हर सैनिक मसीहा हमारा, जो रक्षा हमारी करता है, बहा के कतरा-कतरा अपने लहू का, हमारी हिफाज़त करता है, मसीहा हमारा जाग रहा बॉर्डर पर, इसलिए हम बेख़ौफ़ सोते हैं, आंच ना आए मातृभूमि पर, रोज़ कठिनाई झेलते हैं, आदर नमन मेरा, हर मसीहे सैनिक को, जो रखते हर बहू-बेटी की अस्मत को, और मसीहा ना ढूंढ कहीं, मेरा देश का हर सैनिक है मसीहा ही, कुफ्र-ए-कलयुग में एक सैनिक ही ऐसा, जो देश पर मर जाएगा लुट जाएगा, मगर शान झंडे की ना कम होने देगा, गर्व है ऐसे मसीहे पे जो, जो देश की शांति और अमन ना भंग होने देगा। A challenge by Collab Zone🌟 ✔️Collab करने के बाद कमेंट में done लिखना है । वरना हमारी नजरों से आपकी रचना छूट सकती हैं । ✔️समय - ४ फरवरी शाम ५ बजे तक ✔️प्रतियोगिता में भाग लेना ना भूलिए टॉप ३ विजेताओं को testimonial दिया जाएगा ।