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कड़ी धूप में पसीने से तरबतर लगातार वो चाक घुमाता ज

कड़ी धूप में 
पसीने से तरबतर
लगातार वो चाक घुमाता जाता था
छोटी सुराही की गर्दन
आकार लेती जा रही थी
चाक की रफ़्तार बढ़ती गयी
उँगलियाँ घूमती रहीं
सुराही बनती गयी
घंटों की मेहनत के बाद
जो सुराही को सुखाने को उतारा
उस बारह इंच लंबी सुराही की पेंदी में
एक आधे सेंटीमीटर का छेद रह गया
 उदासी, छलनी से छलते आटे की तरह
उसकी आँखों से झरती रही
छेद था फिर भी उसे तोड़ा नहीं
मेहनत की ताबीर थी वो
कोने में पड़ी रही

कुम्हार हिम्मतवाला था फिर जुट गया सुराही बनाने में।

मैं अब रिश्ते नहीं बनाता।
 #rishte #dard #tuterishte #love
कड़ी धूप में 
पसीने से तरबतर
लगातार वो चाक घुमाता जाता था
छोटी सुराही की गर्दन
आकार लेती जा रही थी
चाक की रफ़्तार बढ़ती गयी
उँगलियाँ घूमती रहीं
सुराही बनती गयी
घंटों की मेहनत के बाद
जो सुराही को सुखाने को उतारा
उस बारह इंच लंबी सुराही की पेंदी में
एक आधे सेंटीमीटर का छेद रह गया
 उदासी, छलनी से छलते आटे की तरह
उसकी आँखों से झरती रही
छेद था फिर भी उसे तोड़ा नहीं
मेहनत की ताबीर थी वो
कोने में पड़ी रही

कुम्हार हिम्मतवाला था फिर जुट गया सुराही बनाने में।

मैं अब रिश्ते नहीं बनाता।
 #rishte #dard #tuterishte #love
amritraj2837

Amrit Raj

New Creator