रमता जोगी बहता पानी , रुकते कहाँ है । अंजान सा बचपन , परियो की कहानी , वो कांच के टुकड़े , यादों की निशानी , रुकते कहाँ है । अपनों से तकरार , लफ़्ज़ों का प्यार , बदलने का करार , सुधरने का इकरार , रुकते कहाँ है ।। बर्फ के सख्त टुकड़े , हमारी शिकायतों के दुखड़े , ख़ुशी के आंसू , हँसी की फुहार , रुकते कहाँ है ।। आने वाले कल की उम्मीद , और गुज़रे कल की सिख , दुनिया का डर , और हर रात के बाद सहर , रुकते कहाँ है ।। ऊपर वाले पर विश्वास , एक दिन आयेगा जब सब ठीक हो जाएगा , ये वाली आस , रुकते कहाँ है ।। घडी की टिक टिक , प्रॉब्लम्स की चीक चिक , सूरज का आना , और आकर फिर जाना , रुकते कहाँ है ,।। मेरा मेरा मेरा तेरा तेरा तेरा हर वक़्त हो रहे ये , शब्दो के वार , रुकते कहाँ है ।। हमारे न चाहते हुए भी , हर पल चल रहे विचार , रुकते कहाँ है , यही तो जीवन चक्र है , किसी को जाना है , तो किसी को आना है , आने और जाने के ये कारोबार रुकते कहाँ है , लोग सोचते है , रुक जाएगा सब कुछ , अगर वो न रहे तो , कोई समझाइए उन्हें ज़रा , वो उसकी और उसका बनाया संसार , रुकते कहाँ है ।।