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साधारण सी थी मैं,मामूली से थे मेरे ख्वाब, उन्हें भ

साधारण सी थी मैं,मामूली से थे मेरे ख्वाब,
उन्हें भी पूरा न होने देने में,सबने दिया एक दूजे का साथ।
किसी के सपनों को रौंदकर,कौन कहाँ तक सफल हो पाएगा,
दो सपनों को भी मान सभी के,दिल तुम्हारा भी खुश हो जाएगा। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏

💫Collab with रचना का सार..📖

🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता:-133 में स्वागत करता है..🙏🙏

*आप सभी 4 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
साधारण सी थी मैं,मामूली से थे मेरे ख्वाब,
उन्हें भी पूरा न होने देने में,सबने दिया एक दूजे का साथ।
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ashagiri4131

Asha Giri

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