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अकसर मे ये सोचता था, के ये गुलाब तुझे दे दुंगा मगर

अकसर मे ये सोचता था,
के ये गुलाब तुझे दे दुंगा
मगर बेचारा पेहलेही मुर्झा गया.. #Poetry #poem #2liner #najm #kavita #gulab
अकसर मे ये सोचता था,
के ये गुलाब तुझे दे दुंगा
मगर बेचारा पेहलेही मुर्झा गया.. #Poetry #poem #2liner #najm #kavita #gulab