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जय के दृढ़ विश्वास-युक्त थे दीप्तिमान जिनके मुख-

जय के दृढ़ विश्वास-युक्त थे 

दीप्तिमान जिनके मुख-मंडल 

पर्वत को भी खंड-खंड कर 

रज-कण कर देने को चंचल 

फड़क रहे थे अति प्रचंड भुज— 

दंड शत्रु-मर्दन को विह्वल 

ग्राम-ग्राम से निकल-निकलकर 

ऐसे युवक चले दल के दल।

©Manoj Kumar Dubey #aanand
जय के दृढ़ विश्वास-युक्त थे 

दीप्तिमान जिनके मुख-मंडल 

पर्वत को भी खंड-खंड कर 

रज-कण कर देने को चंचल 

फड़क रहे थे अति प्रचंड भुज— 

दंड शत्रु-मर्दन को विह्वल 

ग्राम-ग्राम से निकल-निकलकर 

ऐसे युवक चले दल के दल।

©Manoj Kumar Dubey #aanand