Nojoto: Largest Storytelling Platform

मैं अभी भी वहीं रुकी हूँ तुम्हारी प्रतीक्षा में और

मैं अभी भी वहीं रुकी हूँ तुम्हारी प्रतीक्षा में
और आहिस्ता आहिस्ता समय बीत रहा है
समंदर के किनारे रेत पर जो तुमने पदचिन्ह बनाये थे 
वो मेरे हृदय में अपनी छाप छोड़ता जा रहा है
समय की गति का अंदाजा भी नहीं है तुमको
ये उम्र अब यौवन को ढलती उम्र का लिबाज़ पहना रहा है
सुबह के सूरज सा चमकता था जो मेरा रंग-रूप
अब आहिस्ता आहिस्ता धूमिल हो रहा है 
तुम्हारी प्रतीक्षा में मेरा व्यक्तित्व
तिमिर सा गहन होता जा रहा है
एक बार इस अंर्तमन की व्यथा को समझ के आ जाओ 
आ जाओ प्रिय इन श्वासों का बोझ अब सहन नहीं हो रहा है ...

©Richa Dhar #samay अंतर्मन
मैं अभी भी वहीं रुकी हूँ तुम्हारी प्रतीक्षा में
और आहिस्ता आहिस्ता समय बीत रहा है
समंदर के किनारे रेत पर जो तुमने पदचिन्ह बनाये थे 
वो मेरे हृदय में अपनी छाप छोड़ता जा रहा है
समय की गति का अंदाजा भी नहीं है तुमको
ये उम्र अब यौवन को ढलती उम्र का लिबाज़ पहना रहा है
सुबह के सूरज सा चमकता था जो मेरा रंग-रूप
अब आहिस्ता आहिस्ता धूमिल हो रहा है 
तुम्हारी प्रतीक्षा में मेरा व्यक्तित्व
तिमिर सा गहन होता जा रहा है
एक बार इस अंर्तमन की व्यथा को समझ के आ जाओ 
आ जाओ प्रिय इन श्वासों का बोझ अब सहन नहीं हो रहा है ...

©Richa Dhar #samay अंतर्मन
richadhar9640

Richa Dhar

New Creator

#samay अंतर्मन #कविता