Nojoto: Largest Storytelling Platform

Title- सोचता हूं अक्सर, Part-1 Writen By-Mukesh (3

Title- सोचता हूं अक्सर, Part-1
Writen By-Mukesh (3/03/22)

सोचता हूं अक्सर,जब मैं  तन्हा  होता  हूं
प्यारी चीज़ों को अक्सर, मैं ही क्यूं खोता हूं।

किस्मत की क्या मंजूरी है,जाने कल को क्या होगा
एक हलचल सी होती है मन में, मैं उलझता जाता हूं
सोचता हूं अक्सर, जब मैं तनहा होता हूं......!

काली रातों जैसे,ख़्वाब मेरे धुंधले नज़र आते हैं
राहों में पड़े शख्त पत्थर,क्यूं,पिघले नज़र आते हैं
सोचता हूं अक्सर, जब मैं तनहा होता हूं........!

ज़िंदगी की उधेड़बुन ने कैसी शोर मचा रखी है
उम्मीदों की जलती लौ ने क्यूं,मुझे सुलगा रखी है
सोचता हूं अक्सर, जब मैं तनहा होता हूं........!— % &  #cinemagraphlove #yqdidi #yqquotes #yqkora_kagaz #yqrestzone
Title- सोचता हूं अक्सर, Part-1
Writen By-Mukesh (3/03/22)

सोचता हूं अक्सर,जब मैं  तन्हा  होता  हूं
प्यारी चीज़ों को अक्सर, मैं ही क्यूं खोता हूं।

किस्मत की क्या मंजूरी है,जाने कल को क्या होगा
एक हलचल सी होती है मन में, मैं उलझता जाता हूं
सोचता हूं अक्सर, जब मैं तनहा होता हूं......!

काली रातों जैसे,ख़्वाब मेरे धुंधले नज़र आते हैं
राहों में पड़े शख्त पत्थर,क्यूं,पिघले नज़र आते हैं
सोचता हूं अक्सर, जब मैं तनहा होता हूं........!

ज़िंदगी की उधेड़बुन ने कैसी शोर मचा रखी है
उम्मीदों की जलती लौ ने क्यूं,मुझे सुलगा रखी है
सोचता हूं अक्सर, जब मैं तनहा होता हूं........!— % &  #cinemagraphlove #yqdidi #yqquotes #yqkora_kagaz #yqrestzone