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सौ मर्तबा गिर गिर के हसरतें लिए उठा हूँ हर बार बुझ

सौ मर्तबा गिर गिर के हसरतें लिए उठा हूँ हर बार
बुझी राख से अपनी हर दफ़ा फिर शोले सुलगाये हैं मैंने

 Musings 14/7/19
सौ मर्तबा गिर गिर के हसरतें लिए उठा हूँ हर बार
बुझी राख से अपनी हर दफ़ा फिर शोले सुलगाये हैं मैंने

 Musings 14/7/19