बुलबुला हूँ मैं पानी का, बनता हूँ बार बार बिखर जाता हूँ। सुनता नहीं जरा भी किसी की, यूँ ही बिफर जाता हूँ। अदाएँ खो चुका हूँ, पता नहीं किस गुमान में हूँ। हूँ जमीं पर लगता है आसमान में हूँ। ©akash tiwari मैं जो हूँ