इसी विस्मय के कारण सही समय पर सही निर्णय नही ले पाता अपने साथ अपनों का भी अहित करता है। यह समझे बिना कि भीतर की और बाहर की जीवनशैली को संतुलित किए बिना वह सफल नहीं होगा।
:
गुरू शिष्य के लिए कार्य नहीं करता।
न ही शिष्य के कर्म बन्ध काटता है।
गुरू शिष्य के साथ भी नहीं चलता।
केवल मार्ग दिखाता है।
गुरू ही शिष्य को अद्वितीय होने का रहस्य समझाता है।
बाहरी और भीतरी जीवन को संतुलित रखना सिखाता है। #coronavirus#पाठकपुराण#विज्ञान_का_ताण्डव#सार्वजनिक_अनुशासन_की_कमी_एवं_अशिक्षा#गुरु_और_शिष्य