आज फिर अरसे बाद सवालात का सिलसिला मुकर्रर हुआ खुद से, पहचानने की कोशिश में खुद को हर दर्रे से छान लिया, लोग हमें जान ने की दलीलें बयां करते हैं अक्सर महफ़िलो में, जो हम ना जान सके फिर भी उन सबकी हर बातो को सही मान लिया, जब डूबा खुद के मन रूप समंदर में तो दम सा घुटने लगा, वक्त का तगजा है जनाब वक्त रहते आखिर खुद को जान ही लिया... आज फिर अरसे बाद सवालात का सिलसिला मुकर्रर हुआ खुद से पहचानने की कोशिश में खुद को हर दर्रे से छान लिया ©Abhinath Shrotriya सिलसिला सवालातो का #सवाल_खुद_से #मेरे #Roses