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कितना हसीन वो शाम का मन्जर था हाथ में तेरा हाथ ओर

कितना हसीन वो शाम का मन्जर था

हाथ में तेरा हाथ ओर सामने समन्दर था 

लहरो का शोर बोहत उस शाम में था 

तू शामिल मेरी मोहब्बत के नाम में था

मुझे खुद का भी रिया होश नही 

क्या बताऊँ कितना नशा उस शाम में था

©Riyashaikh #शाम 

#evening  jitendra karnawat Laxmi Narayan Roy Liyakat Ali Da"Divya Tyagi" Hamid Ali
कितना हसीन वो शाम का मन्जर था

हाथ में तेरा हाथ ओर सामने समन्दर था 

लहरो का शोर बोहत उस शाम में था 

तू शामिल मेरी मोहब्बत के नाम में था

मुझे खुद का भी रिया होश नही 

क्या बताऊँ कितना नशा उस शाम में था

©Riyashaikh #शाम 

#evening  jitendra karnawat Laxmi Narayan Roy Liyakat Ali Da"Divya Tyagi" Hamid Ali
riyashaikh5898

Riyashaikh

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