कितना हसीन वो शाम का मन्जर था हाथ में तेरा हाथ ओर सामने समन्दर था लहरो का शोर बोहत उस शाम में था तू शामिल मेरी मोहब्बत के नाम में था मुझे खुद का भी रिया होश नही क्या बताऊँ कितना नशा उस शाम में था ©Riyashaikh #शाम #evening jitendra karnawat Liyakat Ali Hamid Ali