विषय - अंतिम सफर थी बेखबर संग तेरे मेरे हमसफ़र चांद तारे नहीं चाहिए थी तू मिला सारी दुनिया मिली सशक्त बाहों का सहारा मिला जिंदगी से मुझे कुछ नहीं था गिला शनै शनै बीते पहर बिछाए फूल तूने मेरे डगर जो चाहा वह तूने दिया तेरे ही लिए सिर्फ धड़के जिया भगवान को रास आई ना खुशी एक खबर ने बेहद किया दुखी खुशियों को मेरी लगी नजर चंद दिनों बचा था तेरा सफर तेरी इस बीमारी ने हर चीज बिकवाई सहूंगी कैसे मैं तेरी जुदाई ईश्वर ने कैसा बरपाया कहर हर पल मुझे लगता है यही डर कब हो जाए तेरा अंतिम सफर कब हो जाए तेरा अंतिम सफर| #सविता सिंह मीरा ©savita singh Meera #अंतिम सफर #Drown