आज फिर भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा आज फिर एक नस्तर इस हृदय में चुभ गया, पर इस विरही राग को हर कोई अनसुना छोड़ गया कागज पर रोती दास्ताँ उतारने को दिल मचल गया।। पर लिखते- लिखते ना जाने क्यों कलम रुक गया क्या लिखूं ?????? जन्म से उपहारस्वरूप मिली जमाने की बंदिशे या फिर नाप दी गयी सरहदे।। आँख खुलते ही तिरछी निगाहों से एक हीन एहसास हुआ लड़की होने का....।। और फिर उम्र के साथ ये बढ़ता ही गया।। हर कदम पर असुरक्षा का बोध, या जमाने के द्वारा प्रतिपल किया गया विरोध,,, गर्भ में पले बोझ को डोली में उतारा गया। और फिर उसे ही निर्मम जलाया गया।। क्या लिखूं??????? ©Kanchan Shukla #kanchandivy #Nojoto #yourquote #warrior