जड़ें छोड़ चली गिरफ्त मिट्टी की दिल-ए-बाग में अब कोई शजर ना रहा.. वो हँसा किया अक्सर तकदीर पर मेरी मेरे हालातों से जो बेखबर ना रहा.. हारता रहा हर जंग मैं मुसलसल जंग में दुआओं का कुछ असर ना रहा.. ख्वाब सहम कर सारे लहद में जा छिपे उड़ने को पास उनके जब शहर ना रहा.. मैंने खुद को मय के हवाले कर दिया किसी दिल में जब अपना बसर ना रहा.. -KaushalAlmora शजर = पेड़ मुसलसल = लगातार, लहद = कब्र #बसर #yqdidi #लहद #erotica #yqbaba #yqquotes #yqdiary #yq