काश! मुलाकातों पर ना होती वक्त की पाबंदी, ना देखता दोनों में से पहरा कोई सूरज के ढलने का, चांद के चढ़ने का। होती तो बस, आंखों में खो जाने की रजामंदी ना देखता दोनों में से ठहरा कोई वक्त घर को चलने का, शमा पिघलने का। काश! ©Swechha S काश! मुलाकातों पर ना होती वक्त की पाबंदी 💌 #5Feb #Kaash #Tum