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ये ज़िन्दगी कश्मकश से डरती है। खुद को उस आग में तप

ये ज़िन्दगी कश्मकश से डरती है।
खुद को उस आग में तपा के तो देख।

अजीब सी आवाजें सुनाई देती हैं रूह को।
उन आवाजों  को पहचान के तो देख।

लोग कहते हैं खुद को खुद में रहना गुनाह है।
तो शौ क से ये गुनाह करके के तो देख।

ज़िन्दगी के पन्ने पलटते यूं ही।
कुछ पन्नों को पड़ के तो देख।

ये जिंदगी मसलूमो का इंत हान लेती बहुत।
तो कभी मेरा भी इंत हान ले के  तो देख।

दुनिया की भीड़ में अकेला ही सही "प्रशांत''
खुद के पैरों के निशां छोड़ के तो देख।

©prashant ये जिंदगी कश्मकश से डरती है।

#Flower
ये ज़िन्दगी कश्मकश से डरती है।
खुद को उस आग में तपा के तो देख।

अजीब सी आवाजें सुनाई देती हैं रूह को।
उन आवाजों  को पहचान के तो देख।

लोग कहते हैं खुद को खुद में रहना गुनाह है।
तो शौ क से ये गुनाह करके के तो देख।

ज़िन्दगी के पन्ने पलटते यूं ही।
कुछ पन्नों को पड़ के तो देख।

ये जिंदगी मसलूमो का इंत हान लेती बहुत।
तो कभी मेरा भी इंत हान ले के  तो देख।

दुनिया की भीड़ में अकेला ही सही "प्रशांत''
खुद के पैरों के निशां छोड़ के तो देख।

©prashant ये जिंदगी कश्मकश से डरती है।

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