सनातनी बैर है असत्य का सत्य से युगों-युगों से सत्य सहता आया है यातना, यंत्रणा, और प्रताड़ना झूड ने कभी सच को सूली चढा़या तो कभी हलाहल ज़हर पिलाया सत्य प्रताडि़त हो सकता है पर पराजित कदापि नहीं सदा से होती रही है सच की अग्नि परीक्षा और सत्य हमेशा कुंदन बन निखरा है किंतु असत्य सदा टूटा,हारा,बिखरा है।। 'प्रेमांकुर'