Nojoto: Largest Storytelling Platform

मनका राही बनाता चल नित्यक्रम पाठ पर अपना फलसफा पूर

मनका राही बनाता चल नित्यक्रम पाठ पर अपना फलसफा पूरा चलता चल और रुक रुक कर देखता चल की कोई राह में राही ऐसा तो नहीं जो तुझ से टकराए हो और तुझसे मिलकर अफसोस बनाकर चलता चला गया हूं ऐसे राही को दिखा रहा जिससे कि तेरे ही नहीं अपितु ऐसे नित्यक्रम पाठ करते हुए लोगों को जो दूसरों को राह दिखाने में प्रशस्त हो उनके मन का फेर हर किसी के दिल में जगाता चल

©amit Kumar kaushik
  ओम जय जगदीश की मनोकामना

ओम जय जगदीश की मनोकामना #विचार

27 Views