#कविता_का_पेड़दार_पथ कविता के पेड़दार पथ पे चलते-चलते धूप में चलना भूल गया और चमकने के लिए बत्ती बन जलना भूल गया। क्योंकि कष्टयुक्त धूप में चलकर आप को मजदूर महसूस करने लगा इसलिए मजदूरी से डरने लगा क्योंकि मन में आया यह विचार कि कहीं करें लोग तिरस्कार!! किंतु कविता ने कहा, "बेहद मुश्किल डगर! मैं देख लूँगी तू मौज कर। मैं यह भी रात बिता दूँगी मैं तुझे दोबारा जिता दूँगी।" ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni #कविता_का_पेड़दार_पथ