गुलाब ...................................................... कहने को तो यह प्रेम प्रतीक है पर दिल की है कमजोर छेड़े जब इसके नाजुक तन को बिखरे भाव विभोर अलग अलग रंगों मे ढलकर मधुरस मे यौवन झलकाती है आत्मसमर्पण करके खुद को दो स्नेहिल दिल को मिलाती है सबकी खास बनकर इसने मुस्कान भरा पुरजोर छेड़े जब इसके नाजुक तन को बिखरे भाव विभोर ..... ............................................................