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शिद्दत-ए-दर्द से शर्मिन्दा नहीं है मेरी वफा, दोस्त

शिद्दत-ए-दर्द से शर्मिन्दा नहीं है मेरी वफा, दोस्त गहरे हों तो ज़ख़्म भी गहरे ही देते हैं..! #ज़ख़्म
शिद्दत-ए-दर्द से शर्मिन्दा नहीं है मेरी वफा, दोस्त गहरे हों तो ज़ख़्म भी गहरे ही देते हैं..! #ज़ख़्म