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हक़ीक़त को भी फसाना बना देती है,, इंसान कि मजबूरी

हक़ीक़त को भी फसाना बना देती है,, इंसान कि मजबूरी उसे गरीब बना देती है,, अंसारी,, इंसान कि मजबूरी उसे गरीब बना देती है,,
हक़ीक़त को भी फसाना बना देती है,, इंसान कि मजबूरी उसे गरीब बना देती है,, अंसारी,, इंसान कि मजबूरी उसे गरीब बना देती है,,