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Blue Moon उठ जाग मुसाफ़िर! भोर भई, अब रैन कहाँ जो

Blue Moon उठ जाग मुसाफ़िर! भोर भई, 
अब रैन कहाँ जो सोवत है। 
जो सोवत है सो खोवत है, 
जो जागत है सो पावत है। 
उठ जाग मुसाफ़िर! भोर भई, 
अब रैन कहाँ जो सोवत है। 

टुक नींद से अँखियाँ खोल ज़रा 
पल अपने प्रभु से ध्यान लगा, 
यह प्रीति करन की रीति नहीं 
जग जागत है, तू सोवत है। 

तू जाग जगत की देख उड़न, 
जग जागा तेरे बंद नयन, 
यह जन जाग्रति की बेला है, 
तू नींद की गठरी ढोवत है।

©@BeingAdilKhan #bluemoon Anshu writer neelu Jazz sakshi Pandey I_surbhiladha
Blue Moon उठ जाग मुसाफ़िर! भोर भई, 
अब रैन कहाँ जो सोवत है। 
जो सोवत है सो खोवत है, 
जो जागत है सो पावत है। 
उठ जाग मुसाफ़िर! भोर भई, 
अब रैन कहाँ जो सोवत है। 

टुक नींद से अँखियाँ खोल ज़रा 
पल अपने प्रभु से ध्यान लगा, 
यह प्रीति करन की रीति नहीं 
जग जागत है, तू सोवत है। 

तू जाग जगत की देख उड़न, 
जग जागा तेरे बंद नयन, 
यह जन जाग्रति की बेला है, 
तू नींद की गठरी ढोवत है।

©@BeingAdilKhan #bluemoon Anshu writer neelu Jazz sakshi Pandey I_surbhiladha