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दुनियाँ उलझनों का जाल नज़र आता हैं, सब सुलझ जाता ह

दुनियाँ उलझनों का 
जाल नज़र आता हैं,
सब सुलझ जाता हैं
 जब दर मयखाने होता हूँ ।।

©बिमल तिवारी "आत्मबोध" मयखाना
दुनियाँ उलझनों का 
जाल नज़र आता हैं,
सब सुलझ जाता हैं
 जब दर मयखाने होता हूँ ।।

©बिमल तिवारी "आत्मबोध" मयखाना