अच्छा तो कुछ यू गुज़रा संक्रान्ति का त्योहार ना पंतन्गे उड़ पाई ना किसी की याद सोचा शाम को जला के उड़ा देंगे हवाओ मैं इनको कमबख्त हवाए भी यादो की मोहताज निकली written by moinkhan hppy kitefastival kite fastival