विवशता की बेड़ियां, परंपराओं के ढकोसले, रूढ़िवादिता के अंधेरे, टूटते हुए ये हौसले, ज़िंदगी का छला जाना,.... कब तक चलता रहेगा???? @Super kaur प्रश्न उठाओ, विरोध करो, चुनौती दो, मुंह मत फेरो, झूठ को झूठ सच को सच कहो।। दीप कुलभूषण