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खुद से दूर अंधेरों में कैद हूं,, सज़ा कोई नही मिली

खुद से दूर अंधेरों में कैद हूं,, सज़ा कोई नही मिली अपनी ही ज़िन्दगी से नाराज़ हूं.

खिड़की रख ली है एक रोशनी से मिलने को,,अकेला रहता हूं दर्द-ए-दिल की चीखती आवाज़ हूं. # # # # #  m kalvadiya Ashfaq Asifa Prem Khan Prem AD study GK Mukeem Khan  chaudhary heena
खुद से दूर अंधेरों में कैद हूं,, सज़ा कोई नही मिली अपनी ही ज़िन्दगी से नाराज़ हूं.

खिड़की रख ली है एक रोशनी से मिलने को,,अकेला रहता हूं दर्द-ए-दिल की चीखती आवाज़ हूं. # # # # #  m kalvadiya Ashfaq Asifa Prem Khan Prem AD study GK Mukeem Khan  chaudhary heena