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आयेंगे फिर ना तुम्हारे नगर मे अगले जनम मोहे बिटिया

आयेंगे फिर ना तुम्हारे नगर मे
अगले जनम मोहे बिटिया ना किजे 

सपने सजाये रातो मे गल के
 मंजील मिली पर ना मंजिल कहीं हैं
मुझे हर योनि मे जनम चाहे दिजै
अगले.............................।

काया थी सुंदर शीशे सा मन था
लोगो की सेवा करने का प्रण था
बनी एक पक्षी गगन के लगन मे
परवाज मेरी किसी ने हैं छिने
अगले..............................।।

दुनिया का गम मै मिटाने चली थी
बापू का सपना सजाने चली थी
मुझे किस नजर की नजर लग गयी थी
शैतान मुझको सफर पे है खिंचे
अगले.......................।।
राजीव. $ubha$"शुभ" Vijay Kumar Parul Umale Suman Zaniyan Sheetal Shekhar
आयेंगे फिर ना तुम्हारे नगर मे
अगले जनम मोहे बिटिया ना किजे 

सपने सजाये रातो मे गल के
 मंजील मिली पर ना मंजिल कहीं हैं
मुझे हर योनि मे जनम चाहे दिजै
अगले.............................।

काया थी सुंदर शीशे सा मन था
लोगो की सेवा करने का प्रण था
बनी एक पक्षी गगन के लगन मे
परवाज मेरी किसी ने हैं छिने
अगले..............................।।

दुनिया का गम मै मिटाने चली थी
बापू का सपना सजाने चली थी
मुझे किस नजर की नजर लग गयी थी
शैतान मुझको सफर पे है खिंचे
अगले.......................।।
राजीव. $ubha$"शुभ" Vijay Kumar Parul Umale Suman Zaniyan Sheetal Shekhar