आयेंगे फिर ना तुम्हारे नगर मे अगले जनम मोहे बिटिया ना किजे सपने सजाये रातो मे गल के मंजील मिली पर ना मंजिल कहीं हैं मुझे हर योनि मे जनम चाहे दिजै अगले.............................। काया थी सुंदर शीशे सा मन था लोगो की सेवा करने का प्रण था बनी एक पक्षी गगन के लगन मे परवाज मेरी किसी ने हैं छिने अगले..............................।। दुनिया का गम मै मिटाने चली थी बापू का सपना सजाने चली थी मुझे किस नजर की नजर लग गयी थी शैतान मुझको सफर पे है खिंचे अगले.......................।। राजीव. $ubha$"शुभ" Suman Zaniyan