मोहब्बत तो है पर मैं मोहब्बत के लिए कुर्बानी मांग लेता हूं ख्वाबों में सही, पर हकीक़त के लिए घड़ी भर के लिए मैं उसकी जवानी माँग लेता हूँ.. ©Sahil Bhardwaj जब भी मिलता हूँ उससे कुछ न कुछ मैं निशानी मांग लेता हूं, प्यासा हूँ उसके मोहब्बत का कुछ न सही पर मैं पानी मांग लेता हूं.. कुछ सवाल कर लेता हूं उससे कुछ जवाब सुन लेता हूं उसके रंग भरने को नया, अपनी ज़िंदगी में