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वो जिन्हें बेइंतहा नफरत थी मेरे नाम तक लेने से आज

वो जिन्हें बेइंतहा नफरत थी मेरे नाम तक लेने से 
आज बाजार ए इश्क में मेरे नाम की तख्ती लेकर कुछ तज्वीज लगाए बैठे थे

 चेहरे की कशिश उनके हाले दिल को बयां कर रही थी कुछ इस कदर
 जैसे नाराजगी के अंधेरों में मोहब्बत के सवेरे की उम्मीद लगाए बैठे थे

©Aurangzeb Khan
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