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college का पहला दिन,कुछ सपने, कुछ ख्वाब सजाकर मैं

college का पहला दिन,कुछ सपने, कुछ ख्वाब सजाकर
मैं उछलता -कूदता हुआ   class में जा ही रहा था।
अचानक से दरवाजे पर वो टकराई

पल दो पल के लिए लगा जैसे ये हकीकत नही कोई धुंधला सा सपना है।

मैं यकीन करू भी तो कैसे जो महीनों पहले मिली थी कभी किसी train पर (2)

वो आज मुझसे दरवाजे पर टकराती है
करके नज़रअंदाज़ वो वहां से चली जाती है

मैं class के एक कौने में दुबक्कर बैठा रहा
और उसे देख कर बस यही सोचता रहा ये हकीकत है या धुंधला सा सपना 

अगर हकीकत है तो उसकी नज़रे ,मुझ पर ,पल भर के लिए सही ,पर ठहरती भी तो नही
और अगर धुंधला सा सपना है तो नींद खुलती क्यो नही

#4TrainWalaPyar

to be continued...... #4TrainWalaPyar
college का पहला दिन,कुछ सपने, कुछ ख्वाब सजाकर
मैं उछलता -कूदता हुआ   class में जा ही रहा था।
अचानक से दरवाजे पर वो टकराई

पल दो पल के लिए लगा जैसे ये हकीकत नही कोई धुंधला सा सपना है।

मैं यकीन करू भी तो कैसे जो महीनों पहले मिली थी कभी किसी train पर (2)

वो आज मुझसे दरवाजे पर टकराती है
करके नज़रअंदाज़ वो वहां से चली जाती है

मैं class के एक कौने में दुबक्कर बैठा रहा
और उसे देख कर बस यही सोचता रहा ये हकीकत है या धुंधला सा सपना 

अगर हकीकत है तो उसकी नज़रे ,मुझ पर ,पल भर के लिए सही ,पर ठहरती भी तो नही
और अगर धुंधला सा सपना है तो नींद खुलती क्यो नही

#4TrainWalaPyar

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