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"छुट्टी" शब्द तो वही है बस अर्थ बदल गया इस आभासी

 "छुट्टी" शब्द तो वही है बस अर्थ बदल गया
इस आभासी दुनिया ने "छुट्टी" शब्द का अर्थ ही बदल दिया वो भी क्या दिन थे जब सुबह की शुरुआत पार्क मे "क्रिकेट" से होती , दोपहर "कैरमबोर्ड & लूडो" और शाम गलियारे मे दौड़ कर खत्म होती वो भी क्या दिन थे जब इन्सान बिना किसी ईष्या,भेदभाव के साथ मिलकर समय बिता दिया करते थे .....

और इस आधुनिक(#आभासी) दुनिया ने "छुट्टी" शब्द के अर्थ को कुछ इस तरह से बदला है कि दिन की शुरुआत भी मोबाइल और शाम का अंत भी मोबाइल इस आभासी दुनिया ने जैसे सबको। अपने आगोश मे ले लिया हो और सब अपने आप मे ही व्यस्त हो ।।।
कुछ पंक्तिया .....

तुम्हे गैरो से कब फुर्सत हम अपने गम से कब खाली चलो फिर हो चुका मिलना ना तुम खाली ना मै खाली.......
 Missing those days "जब मै बच्चा था" #बचपन
 "छुट्टी" शब्द तो वही है बस अर्थ बदल गया
इस आभासी दुनिया ने "छुट्टी" शब्द का अर्थ ही बदल दिया वो भी क्या दिन थे जब सुबह की शुरुआत पार्क मे "क्रिकेट" से होती , दोपहर "कैरमबोर्ड & लूडो" और शाम गलियारे मे दौड़ कर खत्म होती वो भी क्या दिन थे जब इन्सान बिना किसी ईष्या,भेदभाव के साथ मिलकर समय बिता दिया करते थे .....

और इस आधुनिक(#आभासी) दुनिया ने "छुट्टी" शब्द के अर्थ को कुछ इस तरह से बदला है कि दिन की शुरुआत भी मोबाइल और शाम का अंत भी मोबाइल इस आभासी दुनिया ने जैसे सबको। अपने आगोश मे ले लिया हो और सब अपने आप मे ही व्यस्त हो ।।।
कुछ पंक्तिया .....

तुम्हे गैरो से कब फुर्सत हम अपने गम से कब खाली चलो फिर हो चुका मिलना ना तुम खाली ना मै खाली.......
 Missing those days "जब मै बच्चा था" #बचपन