मुलाकात**** मुद्दत से आरज़ू थी इस एक मुलाक़ात की.... व्यां करने थे दिल के कई हाल, और कहनी थी मन की बात भी.... ये सवाल, वो सवाल ऐसे पूछेंगे, वैसे पूछेंगे पूरी तैयारी थी उस वार्तालाप की.... लेकिन...... सब सवाल धुल गए, होंठ भी सिल गए हर बात रह गई मन ही में, मन की...... था तो बस एहसास साथ होने का, पास होने का गिले शिकवों का नहीं था, नामो निशान... खामोशी ही बस कह रही थी, कहानी हमारे जज्बात की..... मुद्दत से आरज़ू थी इस एक मुलाक़ात की.... व्यां करने थे दिल के कई हाल, और कहनी थी मन की बात भी.... ये सवाल, वो सवाल ऐसे पूछेंगे, वैसे पूछेंगे