चल रहे है खामोशी से अपनी मंजिल की ओर तनहा सफ़र है नहीं साथ मे कोई और था कोई शक्स जिसके साथ हम चल रहे थे बीच सफ़र मे ही तोड़ गया वो दिल से दिल कि डोर तनहा सफ़र है नहीं साथ मे कोई और मंजिल तक तो जाना है क्यों ना चले वक्त का कोई जोर अभी तो सिर्फ़ शाम हुई है और अंधेरा है घनघोर देखो तो जरा ये क्या हुआ हुई रोशनी चारो ओर सामने मेरे कुछ भी नहीं है बस रस्ते की कोर... तनहा सफ़र है नहीं साथ मे कोई और चल रहे है खामोशी से अपनी मंजिल की ओर... ...✍️Neel Rathod ©Nil Rathod #neelrathod