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-: क्या में बदल गई :- Story' in the caption -:

-: क्या में बदल गई :-

Story' 
in the 
caption -: क्या में बदल गई :- 

आज पूरे 23 बरस हो गए मुझे यहां बड़े पापा के घर रहते रहते, आइने के सामने बाल बनाते हुए मुझे याद आया, इन सालो में मुझे कभी ऐसा महसूस ही नहीं हुआ कि में कहीं ओर हूं, आज कॉलेज के लिए तैयार होते होते अचानक से ऐसा ख्याल आना पहले तो कभी नहीं हुआ ऐसा , में थोड़ी देर वही पास रखे पलंग पर बैठ गई ।कुछ देर ऐसे बैठे बैठे मन में कुछ अजीब सा होने लग गया , ये क्या हो रहा था मेरे साथ,  कुछ भूल तो नहीं रही हूं । पास रखे पानी के गिलास से पानी पिया ओर अपने माथे पर आए पसीने की  बूंदों को पूछने लगी , इतने में ही पास रखे मोबाइल की आवाज ने मुझे खुद से जगा दिया । देखा तो दीक्षा का फोन था , वो बोली आज कॉलेज नहीं आना क्या मैडम ,टाइम देखा है कितना लेट हो गया है आज, थोड़ी देर चुप रहकर में बोली नहीं आज तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही है तू चली जा , ओर हा मेरी क्लास भी तू ही हैंडल कर लेना । इतना कहकर मैने फोन रख दिया ओर वही बिस्तर पर लेट गई । ऊपर चलते पंखे को एक टक देखने लगी ।
ओर फिर मुझे यादों ने अपनी ओर खींच लिया , मुझे याद आया आज पापा का जन्मदिन है 9 अप्रैल आज ही के दिन मैने पापा से बड़े पापा के पास कुछ दिन रहने की ज़िद की थी । जब से हम  छुट्टियों में बड़े पापा के यहां आए थे  वापस गए ही नहीं । मुझे क्या पता था ये कुछ दिन मेरे 23 बरस के बराबर होंगे ।
बड़े पापा ओर बड़ी मां के प्यार में मुझे कभी अपने शहर लोट जाने का मन ही नहीं हुआ । ऐसा नहीं है कि में कभी अपने शहर जाना नहीं चाहती। अपने मां पापा की याद नहीं आती । 
कभी कभी कुछ दिनों के लिए होकर आ जाती हूं, जब छोटी थी तो बड़े पापा ही मुझे अपने साथ ले जाते थे ओर जब भी मेरे शहर  का रेलवे स्टेशन आता बड़े पापा वहां की  भुजिया खिलाते । मुझे बड़ी पसंद थी , ओर उस शहर की फेमस भी जब कभी भी आना होता , बिना भुजिया खाए घर नहीं जाती । स्टेशन से घर तक के तांगे का सफर बड़ा याद आता है आज भी ....। 
अचानक से दूध वाले की आवाज से मेरा ख्याल टूटा . मैने वही से आवाज दी आती हूं। इतने  में देखा तो बड़ी मां दूध लेने जा चुकी थी , उन्होंने मुझे देखा ओर कहा पूर्वी आज तू कॉलेज नहीं गई । तबियत तो ठीक है ना , मैने कहा हां मां में बिल्कुल ठीक हूं ये कहकर
में  किचन कि ओर चली गई और कॉफी बना कर ले आई। जब कभी भी में किसी सोच में होती हूं अक्सर ऐसे ही कॉफी लेकर बालकनी में बैठ आने जाने वालों को देखती रहती हूं,ओर आज भी इस अजीब से खयाल के दस्तक पर में फिर से बालकनी में आकर बैठ कर आने जाने वालों को देखती रही ।
-: क्या में बदल गई :-

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caption -: क्या में बदल गई :- 

आज पूरे 23 बरस हो गए मुझे यहां बड़े पापा के घर रहते रहते, आइने के सामने बाल बनाते हुए मुझे याद आया, इन सालो में मुझे कभी ऐसा महसूस ही नहीं हुआ कि में कहीं ओर हूं, आज कॉलेज के लिए तैयार होते होते अचानक से ऐसा ख्याल आना पहले तो कभी नहीं हुआ ऐसा , में थोड़ी देर वही पास रखे पलंग पर बैठ गई ।कुछ देर ऐसे बैठे बैठे मन में कुछ अजीब सा होने लग गया , ये क्या हो रहा था मेरे साथ,  कुछ भूल तो नहीं रही हूं । पास रखे पानी के गिलास से पानी पिया ओर अपने माथे पर आए पसीने की  बूंदों को पूछने लगी , इतने में ही पास रखे मोबाइल की आवाज ने मुझे खुद से जगा दिया । देखा तो दीक्षा का फोन था , वो बोली आज कॉलेज नहीं आना क्या मैडम ,टाइम देखा है कितना लेट हो गया है आज, थोड़ी देर चुप रहकर में बोली नहीं आज तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही है तू चली जा , ओर हा मेरी क्लास भी तू ही हैंडल कर लेना । इतना कहकर मैने फोन रख दिया ओर वही बिस्तर पर लेट गई । ऊपर चलते पंखे को एक टक देखने लगी ।
ओर फिर मुझे यादों ने अपनी ओर खींच लिया , मुझे याद आया आज पापा का जन्मदिन है 9 अप्रैल आज ही के दिन मैने पापा से बड़े पापा के पास कुछ दिन रहने की ज़िद की थी । जब से हम  छुट्टियों में बड़े पापा के यहां आए थे  वापस गए ही नहीं । मुझे क्या पता था ये कुछ दिन मेरे 23 बरस के बराबर होंगे ।
बड़े पापा ओर बड़ी मां के प्यार में मुझे कभी अपने शहर लोट जाने का मन ही नहीं हुआ । ऐसा नहीं है कि में कभी अपने शहर जाना नहीं चाहती। अपने मां पापा की याद नहीं आती । 
कभी कभी कुछ दिनों के लिए होकर आ जाती हूं, जब छोटी थी तो बड़े पापा ही मुझे अपने साथ ले जाते थे ओर जब भी मेरे शहर  का रेलवे स्टेशन आता बड़े पापा वहां की  भुजिया खिलाते । मुझे बड़ी पसंद थी , ओर उस शहर की फेमस भी जब कभी भी आना होता , बिना भुजिया खाए घर नहीं जाती । स्टेशन से घर तक के तांगे का सफर बड़ा याद आता है आज भी ....। 
अचानक से दूध वाले की आवाज से मेरा ख्याल टूटा . मैने वही से आवाज दी आती हूं। इतने  में देखा तो बड़ी मां दूध लेने जा चुकी थी , उन्होंने मुझे देखा ओर कहा पूर्वी आज तू कॉलेज नहीं गई । तबियत तो ठीक है ना , मैने कहा हां मां में बिल्कुल ठीक हूं ये कहकर
में  किचन कि ओर चली गई और कॉफी बना कर ले आई। जब कभी भी में किसी सोच में होती हूं अक्सर ऐसे ही कॉफी लेकर बालकनी में बैठ आने जाने वालों को देखती रहती हूं,ओर आज भी इस अजीब से खयाल के दस्तक पर में फिर से बालकनी में आकर बैठ कर आने जाने वालों को देखती रही ।
deardiary6275

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