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ज़र्द_पत्ते झड़ गए है, आ गए पत्ते नए.. शरद के जाते

ज़र्द_पत्ते झड़ गए है,
आ गए पत्ते नए..
शरद के जाते ही मौसम,
ने है बदली रंग है..
मौसमें गुलज़ार है अब,
फिज़ा में फैली बहार है..
कोयल की कहीं कुक गूंजे,
कहीं गूंजे चिडियों की कलरव..
प्रकृति देखो हुई जवां है,
धरती ओढ़ी पीली चादर..
फ़ागुन ने मदहोश किया,
सब पर चढ़ी जवानी का रंग..
#अजय57

©Ajay Keshari
  #ज़र्द_पत्ते