इतनी रंग बिरंगी दुनिया, दो आँखों में कैसे आये, हमसे पूछो इतने अनुभव, एक कंठ से कैसे गाये। इतनी रंग बिरंगी दुनिया.... ऐसे उजले लोग मिले जो, अंदर से बेहद काले थे, ऐसे चतुर मिले जो मन से सहज सरल भोले-भाले थे। ऐसे धनी मिले जो, कंगालों से भी ज्यादा रीते थे, ऐसे मिले फकीर, जो, सोने के घट में पानी पीते थे। मिले परायेपन से अपने, अपनेपन से मिले पराये, हमसे पूछो इतने अनुभव, एक कंठ से कैसे गाये। इतनी रंग बिरंगी दुनिया, दो आँखों में कैसे आये।। जिनको जगत-विजेता समझा, मन के द्वारे हारे निकले, जो हारे-हारे लगते थे, अंदर से ध्रुव- तारे निकले। जिनको पतवारे सौंपीं थीं, वे भँवरों के सूदखोर थे, जिनको भँवर समझ डरता था, आखिर वही किनारे निकले। वो मंजिल तक कैसे पहुंचे?, जिनको रास्ता खुद भटकाए हमसे पूछो इतने अनुभव, एक कंठ से कैसे गाये, इतनी रंग बिरंगी दुनिया, दो आँखों में कैसे आये।। #Tel. ©Navash2411 #नवश