*जीवन एक पाठशाला है* 🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂 *डिग्रियाँ तो हासिल कर ली बहुत, हर सबक न सीख पाए।* *ज़िन्दगी ने दे दी वो सिख, जो कभी न भूल पाए।* वक़्त की मझधार से गुज़रते है। सभी के साथ सुर में, बंधते रहे। अचानक से ली, वक़्त ने करवट, ग़ैर तो ग़ैर थे, अपने भी खिसकते रहे। काजू, बादाम खाकर भी, हम सिख न पाए। जो ज़िन्दगी ने हर पाठ, गिन-गिन कर पढ़ाये। *डिग्रियाँ तो हासिल कर ली बहुत.....* किताब से निकल कर देखा, जहाँ कुछ और ही था, यहां कुछ और ही था, वहां कुछ और ही था। दुख और सुख के साथी सब, यही सीखा था हमने, शमा जलती रही रात भर,महफ़िल का मज़ा कुछ और ही था जिन्हें हम समझते रहे, वही आस्तीन के सांप निकल आये कुछ इस तरह ज़िन्दगी ने सबक सिखाये। *डिग्रियाँ तो हासिल कर ली बहुत....* *जीवन एक पाठशाला है* 🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂 *डिग्रियाँ तो हासिल कर ली बहुत, हर सबक न सीख पाए।* *ज़िन्दगी ने दे दी वो सिख, जो कभी न भूल पाए।* वक़्त की मझधार से गुज़रते है। सभी के साथ सुर में, बंधते रहे।